मैं बिहार हूँ|💐 मैं मिट्टी हूँ उस देश की जिसे सिंचित करें ध्रुवनंदा, यहाँ के सर्व कणों में निवास करें गंगा| निकल कर अतीत की गर्भ से जीवन धारण किया मैनें, भूमिजा से प्रसिद्ध हुई जनकतनया| मान हूँ मैं उस देश की जिसमें जन्म लिया सीता, मुझमें ही सिमट कर रह गई वो रामप्रिया| इतिवृत्त के हर पन्ने मुझसे ही खुलते हैं, जहाँ के नर-नारी सामान्य जीवन जीते हैं| वर्तमान का भी तो कोई मोल नहीं, देश के दो रत्न;राष्ट्रकवि दिनकर तथा प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र पुण्यात्मा को भी आविर्भाव किया मैनें| मुझमें इतिहास की एक नई ऊर्जा मिल गयी, गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली तथा महात्मा बुद्ध की कर्मस्थली बन गयी| मगध साम्राज्य की स्थापना को लेकर, मुझमें बस गयी राजधानी| क्रियाकलापों के बीच में भी, निरंतर बढ़ रही मेरी पुरावृत पुरानी| इतना ही नहीं अवशेष रहा, तीर्थों में से सिमरिया धाम विशेष रहा| पवित्र प्रवाहिनी के तट पर,साहित्य कुम्भ स्थली का दर्जा प्राप्त किया मैनें| विद्यमानता तो अभी आरंभ हुई है, नव-शक्ति तो मुझमें पल रही है| मैं इस परम देश की शान हूँ, हाँ मैं बिहार हूँ| -ऋषिकेश
आपकी सराहना ही हमारे लिए प्रेरणा का श्रोत है महानुभावों…. | तथा आपके सर्व मूलबिंदुओं हेतु आपका कोटि कोटि आभार🙏🙏